सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को सहरिया क्रांति ने दिया समर्थन - Shivpuri



शिवपुरी - नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रही, जिससे शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। कर्मचारी टेंट लगाकर नगर पालिका परिसर में डटे हुए हैं और 25 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं इस बीच नगर के कई मोहल्लों, प्रमुख बाजारों और डंपिंग प्वाइंट्स पर कचरे के ढेर लग चुके हैं जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जगह-जगह फैली गंदगी से दुर्गंध उठ रही है और बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।

हड़ताल को मिल रहा सामाजिक संगठनों का समर्थन अब आंदोलन को नई धार दे रहा है शुक्रवार को सहरिया क्रांति आंदोलन के संयोजक व सामाजिक कार्यकर्ता संजय बेचैन ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया उन्होंने बाल्मीकि समाज के योगदान को याद करते हुए कहा, "जब भी हक और अधिकार की लड़ाई होगी, सहरिया क्रांति सबसे पहले साथ खड़ी मिलेगी ये आंदोलन सिर्फ सफाई कर्मचारियों का नहीं, बल्कि पूरे समाज की गरिमा का है।"

धरना स्थल पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रामसिंह यादव भी पहुंचे और उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी जायज मांगों की अनदेखी नहीं की जा सकती। साथ ही उन्होंने सभी कर्मचारियों से 6 अप्रैल को भगवान राम जन्मोत्सव के चल समारोह में शामिल होने की भी अपील की। कार्यक्रम के अंत में संजय बेचैन ने सभी कर्मचारियों को एक सूत्र में बंधे रहने और शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखने की शपथ दिलाई।

पार्षदों ने खुद संभाली सफाई की कमान

इस बीच शहर की बिगड़ती हालात को देखते हुए कुछ पार्षदों ने खुद मोर्चा संभाल लिया है वे ट्रैक्टर-ट्रॉली और सफाई उपकरणों के साथ अपने - अपने वार्डों में पहुंचे और कचरा हटवाने का काम शुरू किया पार्षदों ने साफ संदेश दिया है कि जब तक प्रशासन मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेता, तब तक वे अपने वार्डवासियों को गंदगी से मुक्त रखने का भरसक प्रयास करेंगे।

कर्मचारियों की मुख्य मांगें

धरने पर बैठे कर्मचारियों ने 25 प्रमुख मांगें रखी हैं इनमें स्थानांतरण आदेश रद्द करना, कार्यस्थल तक वाहन सुविधा, 6 घंटे से अधिक ड्यूटी न लेना, सफाई दरोगा को पेट्रोल भत्ता, एनपीएस की कटौती राशि समय पर जमा करना, नियमित कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन देना आदि शामिल हैं शिवपुरी की गलियों में पसरा सन्नाटा और कचरे का अंबार अब एक चेतावनी बन चुका है - जब मेहनतकश कर्मचारी सड़कों पर होते हैं, तो पूरा शहर थम जाता है।

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