हां, साल 2025 के आम बजट में आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इनकम टैक्स में छूट देकर खपत बढ़ाना चाहती है.
आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने के संकेत:
धारा 80TTA के तहत बचत खाते के ब्याज पर कटौती की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
धारा 80TTB के तहत सीनियर सिटीज़न को मिलने वाली कटौती की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
कर मुक्त आय की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
मूल छूट सीमा 3 लाख रुपये से बढ़कर 4 लाख रुपये हो सकती है.
इन बदलावों से शहरी इलाकों में रहने वाले टैक्सपेयर्स को फ़ायदा होगा. साथ ही, कारोबारियों को भी टैक्स में राहत मिल सकती है ।
बजट 2025 की तारीख नजदीक है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट संसद में पेश करेंगी। इस बार के बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। आईसीआरए (इनवेस्टमेंट इन्फॉर्मेशन और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी) ने अपनी एक रिपोर्ट में भी यह दावा किया है।
मिल सकती है आयकर में मामूली राहत पर संग्रह में कमी की उम्मीद नहीं
आईसीआरए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि आगामी बजट में सरकार व्यक्तिगत आयकरदाताओं को मामूली राहत तो दे सकती है, लेकिन इससे कर संग्रह पर असर पड़ने का खतरा नहीं है। वित्त वर्ष 2026 के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इस अनुमान का आधार आय और कॉरपोरेट कर राजस्व में इजाफा होना है। अप्रत्यक्ष करों में 9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया गया है। जीएसटी संग्रह में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। सीमा शुल्क प्रवाह में मामूली 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की ओर से भारतीय उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाए जाने पर फिलहाल अनिश्चितता बनी हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में सकल कर राजस्व (जीटीआर) में समग्र वृद्धि 10 प्रतिशत के नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर के पूर्वानुमान से थोड़ा अधिक होने की उम्मीद है, जिसका मतलब है करों में बढ़ोतरी। रिपोर्ट में राजस्व घाटे पर भी बात कही गई है वित्त वर्ष 2026 के दौरान राजकोषीय घाटे में 16 ट्रिलियन रुपये का इजाफा होने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह 15.4 ट्रिलियन रुपये था।
राजकोषीय घाटे में कमी की उम्मीद
हालांकि, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में देखा जाए तो राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2025 में 4.8 प्रतिशत से घटकर 4.5 प्रतिशत रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "आईसीआरए राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों या केंद्र सरकार के ऋण/जीडीपी पर किसी बड़े मार्गदर्शन का इंतजार कर रहा है।" रिपोर्ट के अनुसार आंकड़ों पर सरकार की ओर से आठवें वेतन आयोग के गठन के एलान का भी असर पड़ेगा।
वित्त वर्ष 2026 में लगभग 11 ट्रिलियन रुपये के पूंजीगत व्यय की उम्मीद
आईसीआरए को वित्त वर्ष 2026 में लगभग 11 ट्रिलियन रुपये के पूंजीगत व्यय की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की बजट घोषणाओं के अनुसार ही है। यह राशि वित्त वर्ष 2025 में 9.7 ट्रिलियन रुपये के अपेक्षित व्यय से 12-13 प्रतिशत अधिक है। पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देकर सरकार विनिर्माण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है, ताकि वित्त वर्ष 2025 में शहरी खपत और निवेश गतिविधि में आई मंदी का मुकाबला किया जा सके। रिपोर्ट में राजकोषीय घाटे को आकार देने और वित्त वर्ष 2026 में पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त जगह बनाने में गैर-कर राजस्व, विशेष रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लाभांश को महत्वपूर्ण बताया गया है। आगामी बजट में राजकोषीय अनुशासन का पालन करते हुए आर्थिक विकास को प्राथमिकता दिए जाने का अनुमान है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में लंबे समय के लिए स्थिरता सुनिश्चित होगी।
टैक्स स्लैब और स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव पर जानकारों की क्या राय?
सरकार नई टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब में और बदलाव करने पर विचार कर सकती है ताकि अधिक से अधिक करदाता इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो सके। जानकारों के अनुसार, 30% की दर को ₹20 लाख से अधिक की आय वालों पर लागू किया जा सकता है। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी एक बार फिर इजाफा किया जा सकता है। पिछली बार नई कर व्यवस्था के तहत इसमें बढ़ोतरी की गई थी। सूत्रों के अनुसार बजट 2025 में पुरानी कर व्यवस्था के तहत भी स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) की लिमिट बढ़ाई जा सकती है। अभी पुरानी व्यवस्था में नौकरीपेशा लोगों और पेंशनधारकों को 50,000 रुपये तक की छूट दी जाती है। नई व्यवस्था के तहत 75,000 रुपये की कटौती का लाभ मिलता है सूत्रों के अनुसार स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट का दायरा बढ़ाकर इसे एक लाख रुपये किया जा सकता है।
मासिक आय के आधार पर टैक्स की दर
मासिक आय टैक्स%
0-25 हजार तक 0 फीसदी
25-57 हजार तक 0 फीसदी
58-75 हजार तक 5 फीसदी
75 हजार से 1 लाख 10 फीसदी
1 लाख से सवा लाख 20 फीसदी
सवा लाख से अधिक 30 फीसदी
नई कर व्यवस्था के तहत
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