ग्वालियर - देश भर में पूरे श्रद्धाभाव से कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय का प्राकट्य कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय साल में एक दिन ही भक्तों को दर्शन देते हैं। देश का इकलौता छह मुखी भगवान कार्तिकेय का मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी गंज में स्थित हैं जो 400 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। आज कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में भगवान कार्तिकेय का अभिषेक और विशेष शृंगार किया जाता है। पुजारी की मानें तो उनकी छठवीं पीढ़ी भगवान कार्तिकेय की सेवा कर रही है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला लगता है, जहां श्रद्धालु भगवान् कार्तिकेय के दर्शन करने दूर दराज से आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।
मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों के विवाह का विचार किया। दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी की परीक्षा ली थी, जिसमें दोनों से कहा था कि दोनों को पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी हैं जो पहले ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर आएगा उसका विवाह पहले किया जाएगा। इसके बाद कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर निकल गए ब्रह्मांड की परिक्रमा करने, वहीं मूषक सवार गणेश जी ने अपने माता पिता को ब्रह्मांड बताकर भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा कर ली थी। इसके बाद भगवान शिव ने गणेश जी को बुद्धि परीक्षा में सफल माना था और रिद्धि सिद्धि से गणेश जी का विवाह भी करा दिया और वरदान दिया था कि कोई भी शुभ अवसर होगा।सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा पहले होगी जब ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय ने देखा की अनुज गणेश जी का विवाह उनसे पहले हो गया है तो वह नाराज हो गए और कार्तिकेय नाराज होकर अज्ञातवास में चले गए थे।