कृषि विभाग द्वारा डीएपी खाद की जगह दूसरे विकल्प के खाद का पोस्टर दुकानों पर लगवाये गये
कोलारस - डीएपी उर्वरक खाद का उत्पादन कम होने के कारण मध्यप्रदेश सरकार द्वारा डीएपी के स्थान पर दूसरे अन्य खादों को फसल के आधार पर नम्बर एवं अलग - अलग दर निर्धारित कर रखी है जिसके पोस्टर कोलारस में भी कई दुकानों पर कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा लगाये गये है किसानों को जागरूक करने के लिये शासन के आदेश पर कृषि विभाग पोस्टर के माध्यम से किसानों को डीएपी के स्थान पर दूसरे अन्य खाद फसल के नाम के हिसाव से उपयोग करने के लिये जागरूक करने का कार्य कर रहा है किन्तु दूसरी तरफ किसान की बात करें तो किसान के दिमाग पर डीएपी का नाम बसा हुआ है और किसान डीएपी खाद के लिये कुछ भी करने को तैयार है भले ही किसान को डीएपी खाद जिसकी कीमत करीब 1350रू. है उसके 400रू. अधिक यानि की 1750रू. तक देने को तैयार है और खाद की गुणवत्ता असली है या नकली इसकी कोई गारंटी नही है फिर भी किसान अच्छी फसल पैदा करने के लिये डीएपी खाद के लिये संघर्ष करता हुआ दिखाई दे रहा है।
कोलारस के कृषि उपज मंडी एवं बदरवास में शासन द्वारा किसानों को खाद वितरण करने के लिये गोदाम बना रखे है जहां से किसान खाद खरीदते है वर्तमान समय में डीएपी खाद की किसानों को आवश्यकता है किन्तु किसानों की आवश्यकता के अनुपात से करीब 25 प्रतिशत डीएपी खाद ही गोदामों पर पहुंचा है जिसे कलेक्टर के आदेश से तहसीलदार द्वारा कूपन जारी कर वटवाने का कार्य किया गया किसानों को अभी भी डीएपी खाद की काफी आवश्यकता है किन्तु गोदामों पर डीएपी खाद की उपलब्धता पर्याप्त नहीं है तथा क्षेत्र का किसान जागरूक न होने के कारण डीएपी के अन्य विकल्प खादों को कम मात्रा में खरीद रहा है जिसके चलते डीएपी खाद की मांग किसानों द्वारा अधिक मात्रा में की जा रही है किसान डीएपी खाद के लिये 1350 के स्थान पर 1750 यानि की 400रू. प्रति कट्टा काला बाजारी देकर खाद खरीद रहा है कुछ किसानों ने बताया कि कोलारस के मानीपुरा में रात्रि के समय कुछ खाद माफिया 1750रू. प्रति कट्टे के हिसाव से डीएपी खाद बेच रहे है वहीं बदरवास में भी गोलनदास मंदिर से लेकर आस पास बने गोदाम एवं विवाह घरों से भी बदरवास में डीएपी खाद काला बाजारी कर बेचा जा रहा है कुछ किसानों ने बताया कि गोदामों पर कार्य करने वाले मजदूर भी माफियाओं से मिले हुये है वह किसानों के नाम पर कूपन बनवाकर खाद की काला बाजारी करावा रहे है कुल मिलाकर प्रशासन एवं कृषि विभाग को डीएपी खाद की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के साथ - साथ किसानों को डीएपी के विकल्प दूसरे खादों को भी फसल के हिसाव से उपयोग करना चाहिऐं जिससे फसल की पैदावार अच्छी होगी और किसान खाद की कालावाजारी से भी बच सकेगा।