कोलारस - कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र की दुर्दशा कोलारस के लोगो से छिपी नहीं है कोलारस के लोग भली भांति जानते है कि कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में रैफर टू शिवपुरी, पीएम एवं सामान्य डिलेवरी के अलावा यदि बुखार का भी मरीज आ जाये तो जांच से लेकर दवा के लिये कोलारस के अस्पताल से बाहर प्राईवेट कमीशन खोरो की शरण में मरीजों को जाना पड़ता है बो तो भला करे की कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में विवेक शर्मा एवं आनंद जैन जैसे चिकित्सक अभी तक पदस्थ रहे जिसके चलते गरीब मरीजों को ओपीडी में उपचार मिल जाता है किन्तु जब दोनो प्रमुख चिकित्सक आगामी तीन माह के अंदर तीन वर्ष के लिये ट्रेनिंग पर चले जायेंगे तो कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र की ओपीडी का दरवाजा शाम के समय खुलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।
कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र से बेतन लेने एवं पद भरने के लिये करीब आधा दर्जन चिकित्सक पदस्थ है किन्तु कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सकों के ओपीडी रजिस्टर का एक माह का मिलान कर लिया जाये तो समझ में आ जायेगा कि कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र से वेतन लेने वाले कितने चिकित्सक ओपीडी में बैठकर मरीजों को देखते है पीजी का एग्जाम पास करने के बाद आगामी तीन माह के अंदर जब डॉ. विवेक शर्मा एवं डॉ. आनंद जैन ट्रेनिंग पर चले जायेंगे तो ऐसी स्थिति में कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र की ओपीडी में चिकित्सक बैठेंगे या नहीं इसकी कोई गारंटी लेने वाला नहीं है क्योंकि कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ अधिकांश चिकित्सक शिवपुरी से अप डाउन करते है और कुछ समय चक्कर लगाने के बाद बापिस चले जाते है यह हम नहीं बल्कि ओपीडी का रजिस्टर इस बात की गवाही देता है कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र जिसमें प्रदेश सरकार प्रत्येक माह वेतन से लेकर अन्य खर्चो पर करोड़ो रूपया खर्च करती है उससे 01 प्रतिशत खर्च में कोलारस में ही संजीवनी प्राईवेट क्लीनिक लोगो को उपचार दे रहा है आखिर सबाल यह उठता है कि शासन का करोड़ो रूपया खैरात के अस्पतालों पर खर्च हो रहा है और लाभ शून्य के बाराबर ही मिल रहा है फिर भला ऐसे चिकित्सलों से लेकर चिकित्सकों के होने न होने का क्या लाभ कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में मामूली दुर्घटना या बायरल विगड़ने पर रैफर टू शिवपुरी किया जाता है फिर भला ऐसे चिकित्सालय एवं आधा दर्जन चिकित्सकों के पदस्थ होने का क्या लाभ कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में सामान्य डिलेवरी एवं पीएम को छोड दिया जाये तो दुर्घटना से लेकर अन्य गम्भीर बीमारियों के मरीजों को शिवपुरी अथवा ग्वालियर में महेंगे खर्च पर निजी चिकित्सालयों में ईलाज कराना पड़ता है।