कोलारस - कोलारस में श्रीराधारानी जी के जन्म के उपलक्ष्य में बुधवार को कोलारस, बदरवास, खतौरा सहित ग्राम भटौउआ में श्रीराधा प्रकट उत्सव चल समारोह के साथ धूमधाम से मनाया जायेगा।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोलारस जोकि मनी वृंदावन के नाम से जाना जाता है सुबह गोपाल जी मंदिर पर श्रीराधा रानी के प्रकट उत्सव के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन रखा गया है साथ ही शाम को कोलारस के विभिन्न स्थानों से होते हुये नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुये चल समारोह निकाला जायेगा चल समारोह कोलारस नगर में विगत कई वर्षो से निरंतर निकाला जाता रहा है इसी क्रम में इस वर्ष भी चल समारोह का आयोजन किया गया है जिसमें बाहर से डीजे, डोल सहित संगीत कार्यक्रम भी किये जायेगे इसी क्रम में बदरवास में भी चल समारोह के साथ मनाया जायेगा श्रीराधा रानी प्रकट उत्सव, खतौरा एवं भटौउआ में भी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जायेगा राधा रानी का प्रकट उत्सव।
खतौरा में धूमधाम से निकाला जायेगा चल समारोह -
बुधवार दिनांक 11 सितंबर की सुबह 10 बजे से खतौरा में श्री राधा अष्टमी जी के उपलक्ष्य में चल समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समय के अभाव के कारण मैं पर्सनल कॉल करने में असमर्थ हूं कृपया सम्माननीय जी आप इसी को आमंत्रित समझकर आने की कृपा करें यात्रा रूटप्रारंभ - समय सुबह 10 बजे खतौरा क्रिकेट स्टेडियम से मेंन मार्केट होते हुए श्री राधाकृष्ण जी के मंदिर पर चल समारोह का समापन किया जाएगा |
श्रीराधाष्टमी (बृहन्नारदीय पुराण पू० अध्याय ११७)
भाद्रपद शुक्ला अष्टमीको जगज्जननी पराम्बा भगवती श्रीराधाका जन्म हुआ था, अतएव इस दिन राधा-व्रत करना चाहिये स्नानादिके उपरान्त मण्डपके भीतर मण्डल बनाकर उसके मध्यभागमें मिट्टी या ताँबेका कलश स्थापित करे। उसके ऊपर ताँबेका पात्र रखे। उस पात्रके ऊपर दो वस्त्रोंसे ढकी हुई श्रीराधाकी सुवर्णमयी सुन्दर प्रतिमा स्थापित करे। फिर वाद्यसंयुक्त षोडशोपचारद्वारा स्नेहपूर्ण हृदयसे उसकी पूजा करे। पूजा ठीक मध्याह्नमें ही करनी चाहिये। शक्ति हो तो पूरा उपवास करे अन्यथा एकभुक्त व्रत करे। फिर दूसरे दिन भक्तिपूर्वक सुवासिनी स्त्रियोंको भोजन कराकर आचार्यको प्रतिमा दान करे। तत्पश्चात् स्वयं भी भोजन करे। इस प्रकार इस व्रतको समाप्त करना चाहिये। विधिपूर्वक राधाष्टमीव्रतके करनेसे मनुष्य व्रजका रहस्य जान लेता तथा राधा-परिकरोंमें निवास करता है।
(१२) दूर्वाष्टमी (भविष्यपुराण) - भाद्रपद शुक्लाष्टमीको उमासहित शिवका षोडशोपचार पूजन करके सात प्रकारके फल, पुष्प, दूर्वा और नैवेद्य अर्पणकर व्रत करे तो धनार्थी, पुत्रार्थी या कामार्थी आदिको धन, पुत्र और कामादि प्राप्त होते हैं।
(१३) महालक्ष्मीव्रत (मदनरत्न, स्कन्दपुराण)- भाद्रपद शुक्ल अष्टमीसे आरम्भ करके आश्विन कृष्ण अष्टमीपर्यन्त प्रतिदिन १६ अंजलि कुल्ले करके प्रातः स्नानादि नित्यकर्मकर चन्दनादिनिर्मित लक्ष्मीकी प्रतिमाका स्थापन करे। उसके समीप सोलह सूत्रके डोरेमें १६ गाँठ लगाकर उनका 'लक्ष्म्यै नमः' से प्रत्येक गाँठका पूजन करके लक्ष्मीकी प्रतिमाका पूजन करे। (लक्ष्मीपूजनकी विशेष विधि 'सारसंग्रह' में देखनी चाहिये) पूजनके पश्चात् 'धनं धान्यं धरां हर्म्य कीर्तिमायुर्यशः श्रियम् तुरगान् दन्तिनः पुत्रान् महालक्ष्मि प्रयच्छ मे ॥' से उक्त डोरेको दाहिने हाथमें बाँधे और हरी दूर्वाके १६ पल्लव और १६ अक्षत लेकर कथा सुने इस प्रकार करके आश्विन कृष्ण अष्टमीको विसर्जन करे।
जय श्रीमन्नारायण पं. नवल किशोर भार्गव मो.नं.9981068449