शिवपुरी - ग्राम सिंहनिवास मैं ताल वाले वडे हनुमान जी के मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस मै,शिवपुरी से पधारी प्रसिद्ध कथा वाचक वालयोगी पं.वासुदेव नंदिनी भार्गव ने शिव की महिमा के साथ, ध्रुव चरित्र,भरत चरित्र की कथा का वाचन किया, चूंकि कथा व्यास नंदिनी भार्गव शास्त्रीय संगीत मर्मज्ञ है,इस कारण कथा के प्रसंगों मैं उनकी कोकिला वाणी से कथा का आनंद हजार गुना बढ़ जाता है, श्रोता भाव विभोर होकर आनंद ले रहे हैं उन्होंने कहा कि शिव कृपा से वासना का विनास होता है,साथ ही राम भक्ति, कृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है,भोग और मोक्ष नारायण देते हैं।
ध्रुव जी भगवान के दर्शन करने वन गये,नारद जी ने वालक ध्रुव की परीक्षा ली,पूंछा कि वन मैं भूंख लगेगी तो क्या खाओगे,तो ध्रुव ने कहा जिस भगवान ने जन्म होते ही मां के स्तनों मैं दूध का प्रवंध किया अव वही भगवान जंगल मैं मेरे भोजन की भी व्यवस्था करेगा नारद जी ने जव प्रसन्न होकर मंत्र दिया, ओम् नमो भगवते वासुदेवाय।
महिनों तपस्या कर अपनी स्वांस को रोका तो सन्नाटा छा गया,जितने भी देवता थे सवके प्राण अवरुद्ध हो गये। भगवान के नाम मैं भगवान का स्वरूप प्रकट करने की शक्ति है। मंत्र का जाप कर भगवान का ध्यान करने से ही ध्रुव जी के ह्रदय मैं शंख चक्र गदा और पद्मधारी श्री नारायण प्रकट हो गये।
भरत चरित्र की कथा मैं वताया कि पूर्व जन्म में किया हुआ तप निष्फल नहीं होता है।इस कारण ही उनका जन्म पवित्र व्रांम्हण के घर मैं हुआ और यही उनका अंतिम जन्म था।भरत जी अपने को दूसरों की दृष्टि मैं पागल मूर्ख दिखाते थे,रुखा सूखा खाकर भी परमात्मा का स्मरण करते थे।भरत जी मान अपमान से भी परे थे।
सिंहनिवास मै चल रही श्रीमद्भागवत कथा मैं हजारों धर्म प्रेमी कथा का रस पान कर रहे हैं।
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