सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा को इस चुनाव में नुकसान हुआ है। वहीं, विपक्षी गठबंधन को 13 में से 10 सीटों पर जीत मिली है। विपक्षी पार्टियों में सबसे ज्यादा फायदा टीएमसी और कांग्रेस को हुआ है। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर भी चुनाव जीतने में सफल रही हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद हुए पहले चुनाव पर सबकी नजरें टिकी थी। आइये जानते हैं कि सात राज्यों में नतीजे कैसे रहे? किस राज्य में किस पार्टी को फायदा हुआ और किसे नुकसान हुआ? कहां दलबदल कराना पार्टियों के लिए फायदे का सौदा रहा? कहां विधायकों के दलबदल कराने के बाद भी पार्टियों को सफलता नहीं मिली? आइये जानते हैं...
किन-किन राज्यों में उपचुनाव के नतीजे आए हैं?
शनिवार को जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं, उनमें बिहार की रुपौली, पश्चिम बंगाल की रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा और मानिकतला, तमिलनाडु की विक्रवंडी, मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा, उत्तराखंड की बदरीनाथ और मंगलौर, पंजाब की जालंधर पश्चिम और हिमाचल प्रदेश की देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा सीट शामिल हैं।
जिन सीटों पर उपचुनाव कराया गया था पिछली बार इनमें से भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे अधिक तीन-तीन सीटें जीती थीं। दूसरे स्थान पर कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। वहीं टीएमसी, बसपा, जदयू, आप और डीएमके के एक-एक उम्मीदवार विजयी हुए थे।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने भाजपा को दिया बड़ा झटका
जिन राज्यों में उपचुनाव हुए थे उनमें सबसे ज्यादा चार सीटें पश्चिम बंगाल की थीं। यहां तीन सीटों- रायगंज, रानाघाट दक्षिण और बागदा में भाजपा के मौजूदा विधायकों के पाला बदलने के कारण उपचुनाव हुए। वहीं मानिकतला में टीएमसी विधायक के निधन के कारण उपचुनाव जरूरी हुआ। आज आए नतीजों में राज्य की सत्ताधारी टीएमसी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है जिन चार सीटों पर अभी उपचुनाव हुए हैं उनमें 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं जबकि एक टीएमसी के खाते में गई थी। इस बार सभी चार सीटें तृणमूल ने कब्जा ली हैं।
पश्चिम बंगाल में रायगंज में कृष्णा कल्याणी, बागदा में मधुपर्णा ठाकुर और रानाघाट दक्षिण में मुकुट मणि अधिकारी और मानिकतला में सुप्ती पांडे को जीत मिली है भाजपा में आए तीन विधायकों में से दो को टीएमसी ने इस उपचुनाव में मौका दिया जबकि एक को टिकट नहीं मिला। हालांकि, हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कृष्णा कल्याणी, मुकुट मणि अधिकारी और विश्वजीत दास उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, मानिकतला में टीएमसी ने दिवंगत नेता साधन पांडे की पत्नी सुप्ती पांडे को मैदान में उतारा। फरवरी 2022 में मौजूदा टीएमसी विधायक साधन पांडे की मृत्यु हो गई थी।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को हुआ फायदा
इस उपचुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल के बाद हिमाचल प्रदेश सबसे अहम राज्य रहा। राज्य में तीन विधानसभा सीटों - देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ के लिए उपचुनाव हुआ। राज्य में कांग्रेस को फायदा हुआ है जिसने तीन में से दो सीटों पर सफलता हासिल की है। वहीं पिछली बार के मुकाबले भाजपा को एक सीट का फायदा हुआ है।
इस साल मार्च में तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और केएल ठाकुर (नालागढ़) के विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। ये वही विधायक थे जिन्होंने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। बाद में ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने पूर्व विधायकों को उनकी सीटों से मैदान में उतारा लेकिन इनमें हमीरपुर से आशीष शर्मा ही जीत सके। दिलचस्प है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी।
देहरा सीट पर कांग्रेस से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर उम्मीदवार थीं। उन्होंने भाजपा के होशियार सिंह को शिकस्त दी है। सीएम सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में पूर्व निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा को हरा दिया। वहीं नालागढ़ में कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा ने भाजपा के टिकट पर उतरे पूर्व निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर को पटखनी दी। भाजपा से बागी हरप्रीत सैनी ने पार्टी को हराने में बड़ी भूमिका निभाई। हरप्रीत सैनी को कुल 13,025 मिले जबकि भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर की हार का अंतर 8,990 वोटों का रहा।
उत्तराखंड में भी बढ़ीं कांग्रेस की सीटें
उपचुनाव के नतीजेओं में उत्तराखंड तीसरा सबसे अहम राज्य रहा। राज्य की दो सीटों पर उपचुनाव हुए जिनमें विपक्षी कांग्रेस को सफलता मिली। 2022 के विधानसभा चुनाव में एक सीट पर कांग्रेस तो एक पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। शनिवार को आए नतीजे के बाद राज्य में बसपा के इकलौते विधायक बचे हैं। पिछले साल अक्तूबर में मंगलौर से बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण उपचुनाव जरूरी था। मुस्लिम और दलित बहुल मंगलौर सीट पर भाजपा कभी नहीं जीत पाई थी और इस बार भी नतीजा नहीं बदला। इस सीट पर पहले कांग्रेस या बसपा का कब्जा रहा है। इस बार कांग्रेस उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने एक करीबी मुकाबले में भाजपा के करतार सिंह भड़ाना को महज 422 वोटों से हरा दिया। वहीं बसपा से उतरे पूर्व विधायक सरवत करीम अंसारी के बेटे उबेदुर रहमान तीसरे स्थान पर रहे।
राज्य की एक अन्य महत्वपूर्ण विधानसभा सीट बदरीनाथ पर भी उपचुनाव हुआ जहां कांग्रेस ने बाजी मारी। यह सीट कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस साल मार्च में इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई थी। बदरीनाथ में कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने भाजपा की तरफ से उतरे राजेंद्र भंडारी को 5,224 मतों से शिकस्त दी।
पंजाब में आप ने बरकरार रखी अपनी सीट
राज्य में जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें पिछली बार की तरह आम आदमी पार्टी को सफलता मिली। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के मुकाबले यहां किसी दल को फायदा या नुकसान नहीं हुआ है। यह उपचुनाव मौजूदा आप विधायक शीतल अंगुराल के पार्टी विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ। अंगुराल ने मार्च 2024 में आप छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।
शनिवार को आए नतीजे में जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर आप के मोहिंदर भगत ने विजय हासिल की है। उन्होंने भाजपा के टिकट पर उतरे अंगुराल को 37,325 मतों से शिकस्त दी। मोहिंदर भगत पूर्व मंत्री और भाजपा के पूर्व विधायक भगत चुन्नी लाल के बेटे हैं। इस मुकाबले में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। पार्टी ने जालंधर की पूर्व वरिष्ठ उप महापौर और पांच बार नगर निगम पार्षद रह चुकीं सुरिंदर कौर पर दांव लगाया था। वह रविदासिया समुदाय की प्रमुख दलित नेता हैं।
बिहार में 40 दिन के अंदर दूसरी बार हारीं बीमा भारती
राज्य की रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी कई मायनों में दिलचस्प हुआ। यहां चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) के बागी शंकर सिंह ने परचम लहराया है। निर्दलीय उतरे शंकर सिंह ने जदयू के कलाधर मंडल को 8,246 मतों से हराया दिया। राजद की उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं।
रुपौली उपचुनाव मौजूदा जदयू विधायक बीमा भारती के इस साल मार्च में इस्तीफा देने और राजद में शामिल होने के बाद कराया गया है। ये वही बीमा भारती हैं जो राज्य में सत्ता परिवर्तन के दौरान विपक्ष के खेमे में चली गई थीं। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भी बीमा भारती राजद की उम्मीदवार थीं। पूर्णिया सीट पर उन्हें निर्दलीय पप्पू यादव से हार मिली थी। इस तरह से महज 40 दिन के अंदर बीमा भारती को दूसरी बार हार मिली है। पूर्णिया लोकसभा सीट पर जीतने वाले निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राष्ट्रीय जनता दल की बीमा भारती को समर्थन देने का एलान किया था लेकिन यह भी काम नहीं आया।
मध्य प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस को झटका
छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट का उपचुनाव भी रोचक रहा। यहां कड़े मुकाबले में भाजपा के टिकट पर उतरे कमलेश शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार धीरेन शाह को 3027 वोटों से हरा दिया। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के देवीराम भलावी भी मैदान में उतरे, उन्होंने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया। 28,723 वोट लेकर भलावी तीसरे स्थान पर रहे।
2023 में हुए विधानसभा चुनाव में अमरवाड़ा में कांग्रेस की जीत हुई थी जिस पर अब भाजपा का कब्जा हो गया है। इस तरह से राज्य में भाजपा की एक और सीट बढ़ गई है।
पिछला चुनाव कांग्रेस से जीते कमलेश शाह ने विधायकी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई जिस पर उपचुनाव हुआ। 2023 के विधानसभा चुनावों में अमरवाड़ा समेत छिंदवाड़ा की सभी आठ सीटों पर कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में विजयी परचम फहराया था। वहीं लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भी पहली परीक्षा में पास हो गए हैं।
तमिलनाडु में डीएमके ने बचाई अपनी सीट
राज्य में विक्रवंडी विधानसभा सीट जीत कर डीएमके ने विधानसभा में अपना आंकड़ा बरकरार रखा है। इस चुनाव में पार्टी के अन्नियुर शिवा ने एनडीए की सहयोगी पीएमके ने सी. अंबुमणि को 67,757 वोटों से शिकस्त दी है। इसी साल 6 अप्रैल को मौजूदा डीएमके विधायक एन पुगाजेंथी के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके ने उपचुनाव का बहिष्कार किया था।
संख्या बल के लिहाज से किसका फायदा किसका नुकासान?
संख्या बल के हिसाब से देखें तो इस उपचुनाव में सबसे ज्यादा फायदा ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को हुआ है। राज्य की जिन चार सीटों पर चुनाव हुए उनमें से केवल एक टीएमसी के पास थी। अब चारों पर ममता की पार्टी का कब्जा हो गया है। इस तरह उसे तीन सीटों का फायदा हुआ है। इसी तरह कांग्रेस भी इस चुनाव में फायदे में रही। चुनाव से पहले इन 13 में से दो सीटें कांग्रेस के पास थीं। अब उसके चार उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं। इस तरह से इस उपचुनाव में कांग्रेस को दो सीट का फायदा हुआ है।
नुकसान की बात करें तो भाजपा, बसपा और जदयू को सीटों के लिहाज से नुकसान हुआ है। उपचुनाव वाली 13 में से तीन सीट पर भाजपा के विधायक थे। अब इनकी संख्या दो हो गई है। पार्टी को हिमाचल और मध्य प्रदेश में एक एक सीट का फायदा हुआ, लेकिन बंगाल में तीन सीटों के नुकसान ने उसका कुल आंकड़े में नुकसान कर दिया है। इसी तरह बिहार में जदयू को अपनी सीट गंवानी पड़ी तो उत्तराखंड में बसपा को हार का सामना करना पड़ा। डीएमके, आम आदमी पार्टी अपनी अपनी सीटें बचाने में सफल रहे। उन्हें न तो फायदा न ही नुकसान का सामना करना पड़ा।