एक घर में भीषण आग, तीन की मौत, ड्रायफ्रूट व्यापारी और दो बेटियां जिंदा जले - Gwalior



ग्वालियर में देर रात एक घर मे लगी भीषण आग में एक ही परिवार के तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई मृतकों में एक व्यापारी और उनकी दो बेटियां शामिल हैं आग लगने की घटना देर रात लगभग दो बजे के आसपास की है सूचना मिलने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया वहीं मृतकों के शवो को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।

बताया गया कि बहोड़ापुर इलाके में संत कृपाल सिंह के आश्रम के सामने वाली गली में रहने वाले विजय गुप्ता के परिवार का ड्रायफ्रूट का कारोबार है। उनके घर मे नीचे मेवे का गोदाम है, जबकि उसी की ऊपरी मंजिल पर वे सपरिवार निवास करते थे। बुधवार रात डेढ़ से दो बजे के बीच उनके घर में अचानक भीषण आग भड़की। देर रात का समय होने के कारण सब सोए हुए थे और चारों तरफ सन्नाटा था। खुद गुप्ता परिवार भी गहरी नींद में था। जब तक लोगो की नींद टूटी तब तक आग की लपटों ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया था।

घर में सो रहे थे तीनों

आसपास के लोगों ने अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास भी किया, लेकिन ड्रायफ्रूट ज्वलनशील होने से आग बहुत तेजी से फैलती गई। सूचना मिलने पर फायरब्रिगेड भी मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका, लेकिन तब तक घर मे मौजूद विजय गुप्ता (42), उनकी बेटियां अंशिका (15) और याशिका (16) की घर में ही जल जाने से दर्दनाक मौत हो गई। 


13 फायर ब्रिगेड ने पाया काबू

आसपास मौजूद लोगों ने बताया कि विजय गुप्ता इस घर में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते थे। उनकी पत्नी सुमन अपने बेटे अंश के साथ कल शाम को ही अपने मायके गई थीं, इससे उन दोनों की जान बच गई। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। फायर ब्रिगेड विभाग के अधिकारी अतिवाल यादव का कहना है कि लगभग 4 बजे उन्हें सूचना मिली थी कि तत्काल फायर बिग्रेड की गाड़ियां मौके के लिए रवाना की गईं और उसके बाद आग पर काबू पाया। मौके पर एक के बाद एक फायर ब्रिगेड की 13 गाड़ियां आईं, तब जाकर गुरुवार सुबह 4.30 बजे तक आग पर काबू पाया जा सका। 


फायर ब्रिगेड पर लेटलतीफी के आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि फायर ब्रिगेड की लापरवाही से तीन जानें गईं। जिम्मेदार अधिकारी पर कार्यवाही होनी चाहिए। घटना के बाद फायर ब्रिगेड की लापरवाही और उदासीनता से तीन लोगों की जान चली गई। सूचना के बाद भी फायर ब्रिगेड करीब डेढ़ घंटे देर से घटना स्थल पर पहुंची और उनके साथ पर्याप्त राहत सामग्री नहीं थी। न तो लंबी सीढ़ी थी और न ही दीवार तोड़ने के औजार। दो मंजिल और तीसरी मंजिल तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच पाई। लगभग 4:30 पर पीछे के मकान की दीवार तोड़ कर तीनों को पांच बजे बाहर निकाला गया अगर तीन बजे के आसपास पीछे के मकान की दीवार तोड़ दी गई होती तो तीनों को बचाया जा सकता था।

बाहर निकलने के रास्ते भी बंद

लोगों की मानें तो घर से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता नीचे से है। यहां आग फैली हुई थी। एक और रास्ता मकान के पिछले हिस्से से है, लेकिन यहां उन्होंने अलमारी रखी हुई थी। पिता और दोनों बेटियां आग में घिर गए और बाहर नहीं निकल सके। मकान से लपटें उठती देख आस-पड़ोस के लोगों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी। पुलिस और फायर ब्रिगेड ने स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन आग बहुत ज्यादा फैल चुकी थी। एसडीईआरएफ (स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रिस्पॉन्स फोर्स) और एयरफोर्स को भी मदद के लिए मौके पर बुलाया गया। एसडीईआरएफ की 13 सदस्यीय टीम ने दूसरे फ्लोर की दीवार को मशीन से तोड़ा। यहां से विजय को निकाला गया। यहां से दोनों बेटियों को निकाला गया। तीनों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी।

 

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