दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स फेसबुक और ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए लिखा है कि मैं जब मेरे पिता जी के देहांत के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर राघौगढ़ आकर रहने लगा, तब मुझे राघौगढ़ के बुजुर्ग नगर सेठ कस्तूरचंद जी कठारी मिलने आए। तब उन्होंने मुझे एक सीख दी। वह यह थी। उन्होंने कहा “राजा साहब हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य हिंदी की बारह खड़ी के अनुसार होता है। ‘क’ से कमाओ- इतना कमाओ कि आपके परिवार को कमा कर ‘ख’ से खिला सकें। ‘ग’ से गहना - जो बचत हो उससे गहना बनाओ। ‘घ’ से घर - गहना ख़रीद कर बचत से घर बनाओ। ‘ङ’ से नाम- घर बनाने के बाद अगर बचत हो तो नाम कमाओ। उन्होंने कहा आप भाग्यशाली हो आपको खाने की कमी नहीं गहनों की कमी घर की कमी नहीं बस अब ‘आप नाम कमाओ’। मैंने अपने 50 वर्षों के राजनीतिक जीवन में बस यही करने का प्रयास किया है। उसमें मैं कितना सफल हुआ इसका आकलन मैं स्वयं नहीं कर सकता, केवल आम लोग ही कर सकते हैं। यह मेरे जीवन का आख़री चुनाव है और आप यह तय करेंगे कि मैं इसमें कितना सफल हुआ। धन्यवाद दिग्विजय
आपको बता दें 77 साल की उम्र में अपने जीवन का अंतिम चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह राजगढ़ से पूर्व में भी दो बार सांसद रह चुके हैं और तभी से राजगढ़ उनका गढ़ माना जाता है। दिग्विजय सिंह के चुनावी मैदान में उतरने के बाद से ही भाजपा के लिए यह सीट अहम बन गई है और वो इसे किसी भी तरह से हासिल करना चाहती है, जिसके लिए राजगढ़ की धरा पर प्रदेश वा केंद्र स्तर के नेता भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं।
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