शिवपुरी - उप संचालक कृषि यू.एस.तोमर ने अपील कर कहा है कि अभी हाल ही में गेहूं, जो (जवा) या अन्य किसी भी फसल की कटाई हो चुकी है जो कि अपने मध्यप्रदेश या सम्पूर्ण भारत में अधिकतर किसान भाई हार्वेस्टर से कटाई करते हैं इसके उपरांत जो डंठल होता है या फसल का अवशेष जमीन में लगा हुआ 90 प्रतिशत भाग बच जाता है उसको नष्ट करने के लिए अपने ही खेत में किसान एक सरल रास्ता चुनते हैं जो की आसानी से आग लगा देते है।
खेत में आग लगाना घातक होता है इससे हमारी जमीन में लाखों करोड़ों सुक्ष्मजीव जो कि मिट्टी को बनाने में सहायक का कार्य करते है या मिट्टी को बनाने में मदद करते हैं वह सभी लाभदायक सुक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मिट्टी की जो उपजाऊ शक्ति है मिट्टी की ऊपरी परत में विध्यमान होती है वह भी नष्ट हो जाती है। एक इंच मिट्टी के बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं लेकिन छोटे से फायदे के लिए खेत में आग लगा देना हमारे लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि घास तथा पत्तियों को जलाने पर उससे जो अवशेष बचता है जिसको राख या भस्म कहते हैं, इसमें बीज को या पौधों को उगा नहीं सकते हैं। यदि बिना विचार कर खेत में आग लगा देने से जमीन में विदयमान लाभदायक सूक्ष्मजीव जो कि खेती के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं और मिट्टी बनाने में सहायता करते हैं वह सभी नष्ट हो जाते हैं साथ ही किसान का मित्र केचुआ भी नष्ट हो जाता है, जो खाद बनाने का कार्य करता है। इसलिए कभी भी खेत में आग नहीं लगाना चाहिए। आग लगाने के बजाय कटाई के बाद जो फसल का अवशेष बचता है उसमें कल्टीवेटर की सहायता से या हेरो की सहायता से या प्लाऊ की सहायता से उसी खेत में मिट्टी में मिला दें जिससे खेत में ही बिना खाद डाले खाद बनकर तैयार हो जायेगी। जिससे जमीन की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ेगी और फसलों की पैदावार में भी इजाफा होगा।