रन्नौद - जो पुत्र माता-पिता का त्याग कर देते है उनकी संपत्ति लेकर के उनको अलग कर देते हैं एवं उनका किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं रखते एवं उनके लिए दुख देते है ऐसे लोगों के लिए शास्त्रों ने महापापी बताया है और ऐसे पुत्रों को मरने के बाद में नरको की अनेक यात्रायें भोगनी पड़ती है एवं यम के दूत उनके लिए उनका मांस ही खिलाते हैं एवं हजारों वर्षों तक उनके लिए पीड़ा प्रदान करते हैं इसलिए प्रत्येक मनुष्य का धर्म हैं कि जब तक माता पिता जीवित है एवं पुत्र समर्थवान है तो अपने माता-पिता का ध्यान इस प्रकार रखें जिस प्रकार उन्होंने उसका पालन पोषण किया एवं उसका रक्षण किया यह प्रवचन रन्नौद क्षेत्र के प्रसिद्ध चोपड़ा नाथ स्थान पर चल रही श्री राम कथा के अवसर पर आचार्य बृजभूषण महाराज ने दिए और उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम ने अपने माता-पिता की आज्ञा शिरोधार्य करके इस संसार में सम्मान पाया एवं श्रवण कुमार ने भी अपने मात पिता की सेवा करके इस संसार में सुंदर यश कमाया है आचार्य ने बताया की श्री राम कथा के द्वारा मनुष्य अपने जीवन का कल्याण कर सकता है एवं सत्संग में जाकर के कथाओं के माध्यम से अपने जीवन को सुंदर बना सकता है आचार्य ने कथा प्रसंग में सुंदरकांड की कथा का वर्णन करके सुनाया की हनुमान जी महाराज कलयुग के प्रत्यक्ष देवता है एवं उनकी सेवा मात्र से ही मनुष्य संसार के संकटों से मुक्ति पा सकता है सुंदरकांड का पाठ करने मात्र से ही मनुष्य के जीवन में अचानक से उन्नति होती है एवं उसके जीवन में उत्कृष्टता आती है प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में सुंदरकांड अवश्य करवाते रहना चाहिए आचार्य जी ने सुंदर लंकाकांड का वर्णन किया और बताया कि रावण कितना बड़ा बलसाली था उसके कुंभकरण से भाई थे एवं मेघनाथ जैसे पुत्र थे फिर भी उसका अंत हुआ क्योंकि जो व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलता है वह कितना ही शक्तिशाली क्यों ना हो उसका अंत निश्चित है आचार्य जी ने कथा के उत्तरकांड में सुंदर कथा का वर्णन सुनाया और कहा राम कथा भवसागर को पार करने के लिए एक नोका के समान है इसलिए सदैव उसका आदर करना चाहिए इस कथा का आयोजन माधादेव सरकार के महंत श्री रामदास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहा है एवं उसका आयोजन 29 अप्रैल तक किया जाएगा।