कोलारस - कोलारस में सोमवार को किसानों ने अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर निकाली कोलारस नगर में रैली साथ ही बता दे कि कोलारस में किसान हजारों की संख्या में जब कोलारस एसडीएम कार्यालय ज्ञापन देने पहुंचे तो वहा एसडीएम की उपस्थित न होने से तथा काफी समय तक जब किसानों से ज्ञापन लेने नही पहुचेंकोलारस एसडीएम तो अक्रोशित किसानों ने कोलारस के जगतपुर में रोड़ पर टैक्टर लगाकर किया चक्काजाम कर दिया साथ ही चेतावनी देना प्रारम्भ कर दिया कि अगर हमारी 13 सूत्रीय मांगे के ज्ञापन को लेने एसडीएम नहीं आये तो फोरलेन पर चक्काजाम करेंगे जिसे बाद मौके पर पहुंची कोलारस थाना पुलिस साथ ही कोलारस एसडीएम यादव ने किसानों के बीच पहुंचकर ज्ञापन लिया जिसके बाद किसानों का आक्रोष सांत हुआ और चक्काजाम हटाया गया।
किसान नेता अनिल जादौन बैडारी वाले द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को पूरे देश में केन्द्र सरकार व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दबाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है, इसके लिए किसानों को जेल भेजने सहित उनके दमन का काम सरकारों द्वारा किया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा कोलारस, केन्द्र व राज्य सरकार के विरोध में 13 सूत्रीय मांग-पत्र आपको प्रेषित कर अनुरोध करता है कि भारत के राष्ट्रपति होने की हैसियत से आप किसानों की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर किसानों की समस्याओं का निदान भारत सरकार से करवाने की कृपा करें किसानों की 13 सूत्रीय मांगें निम्न हैं -
1. आंदोलन कर रहे किसानों को रास्ता देकर दिल्ली में रामलीला मैदान पहुंचने दिया जाए।
2. सभी फसलों की डैच् खरीद की गारंटी कानून बनाया जाए।
3. एमएसपी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से तय की जाए।
4. किसान व खेत मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए।
5. लखीमपुर खीरी काण्ड के दोषियों को सजा दिलवाई जाए।
6. मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
7. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
8. जीएमओ सीड्स को कानूनी मान्यता नहीं दी जाए।
9. मनरेगा में 700 रूपए दिहाड़ी एवं साल में 200 दिन काम की गारंटी दी जाए।
10. किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए व परिवार से एक सदस्य
को सरकारी नौकरी दी जाए।
11. नकली बीज, कीटनाशक दवाई व खाद बनाने वाली कंपनियों के विरूद्ध कड़ा कानून
बनाया जाए।
12. सभी प्रकार के मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।
13. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
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