शिवपुरी - मध्यप्रदेश में चलने वाली भाजपा की सरकार जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों एवं उनके विभागों तक का बटवारा केन्द्र से हो रहा है ऐसी सरकार मध्यप्रदेश के लोगो ने पहली बार देखी है जहां चुनाव परिणाम आने के कई सप्ताह बीत जाने के बाद जैसे तैसे मंत्री मंडल का गठन तो हो गया किन्तु विभागों के बटवारे तक में केन्द्र की सहमति लेनी पड़ी और अब मंत्रियों को जिलो के प्रभार मंत्रियों को देंने के लिये भी केन्द्र की एनओसी की आवश्यकता पड़ रही है डबल इंजन की ऐसी भाजपा सरकार प्रदेश के लोगो ने पहली बार देखी है जिलों में प्रभारी मंत्री न बनाये जाने से बैठकें बंद पड़ी है जिसके चलते आम लोग परेशान हो रहे है केन्द्र भले ही आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुये जातिगत एवं क्षेत्र को साधने का प्रयास कर रहा हो किन्तु प्रत्येक निर्णय फोन की जगह मुख्यमंत्री को दिल्ली तलव करना प्रदेश के लोगो को रास नहीं आ रहा है इससे भाजपा के लोगो से लेकर आम लोगो में नाराजगी देखने को मिल रही है जिस प्रकार भाजपा आगामी लोकसभा के चुनावों में मध्यप्रदेश में मिशन 29 लोकसभा सीट फतेह करने का उद्देश्य लेकर कार्य कर रही है उसमें प्रदेश सरकार को मिलने वाले अधिकारों का हनन करते हुये प्रत्येक निर्णय जब केन्द्र की सरकार लेंगी फिर भला डबल इंजन की सरकार से लोग सिंगल इंजन तक न पहुंचा दें कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह दांगी जैसे कई अन्य पूर्व मंत्रियों को विधायक बनाकर घर बैठलना एवं गुना लोकसभा क्षेत्र के विधायकों को मंत्री मंडल में शामिल न करने तथा विधानसभा के चुनाव परिणामों को कई सप्ताह बीत जाने के साथ - साथ मंत्री मंडल के विस्तार हो जाने के बाद भी जिलों में अभी तक प्रभारी मंत्री न बनाये जाने से भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है।