सीबीआई ने मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले 254 नर्सिंग कॉलेज की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। सीबीआई की तरफ से हाईकोर्ट की युगलपीठ को बताया गया कि 50 कॉलेज की जांच शेष बची है। सर्वोच्च न्यायालय ने 50 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश दिया है।
सीबीआई ने शेष बचे कॉलेजों की जांच के लिए एक महीने का समय प्रदान करने का आग्रह किया। हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने जांच के लिए 15 दिन का समय प्रदान किया है।
याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य है और फैक्टली भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत हैं, जिस कॉलेज में कार्यरत हैं उनकी दूरी सैकड़ों किलोमीटर दूर है। इसके अलावा माईग्रेट तथा डुप्लीकेट फैकेल्टी का मामला भी याचिकाकर्ता की तरफ से उठाया गया था। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन कौसिंल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बावजूद भी सरकार ने प्रशासक को हटाकर रजिस्टार को नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा पूर्व रजिस्टार के खिलाफ सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की गई है, जिसके बाद युगलपीठ ने डीएमई को तलब किया था। डीएमई अरुण श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मांफी मांगते हुए पूर्व रजिस्टार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। युगलपीठ ने ग्वालियर तथा इंदौर खंडपीठ में लंबित नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं को मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए थे।
याचिकाओं को युगलपीठ ने प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी थी। युगलपीठ ने सीबीआई को जांच के लिए तीन महीने का समय प्रदान किया था। याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 254 नर्सिंग कॉलेजों की जांच रिपोर्ट युगलपीठ के समक्ष पेश कर बचे हुए कॉलेजों की जांच के लिए युगलपीठ ने 15 दिनों का समय प्रदान किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।
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