दिनांक (14) 15 जनवरी रात्रि 02:44 पर मकर संक्रांति आएगी 15जनवरी सोमवार को सूर्योदय से सूर्यास्त स्नान दान कर सकते है संवत्सरे रवि सौम्याने शिशिररितौपौषमसे शुक्लपक्षे 3 सूर्यवासरे 01 घटी 13 पल घनिष्ठा नक्षत्र 07 घटी 06 पल व्यतिपात योगे 47 घटी 52 पल गर करणे 01 घटी 13 पल दिनमान 26 घटी 17 रजनीमान तालिका33घटी 43 पल इस प्रकार पंचांग शुद्ध दिनेष्टघटिका 40 पल 03 जब सूर्य रात के उत्तर में मकर राशि में गोचर करता है, तो देवताओं के तीन राज्य इसके लिए पवित्र समय होते हैं, शास्त्र बभन के अनुसार, और अगले दिन, चंद्र सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन शुभ रहता है।
वाहन आदि प्रकार विषय वापत 2 नक्षत्र 3 बार नाम घोरा-सुदूर वन-पर्वतवासी, आदिवासी, गरीब, बुजुर्ग, अनुसूचित जनजाति शासकीय सुलाभ, नई योजना। नक्षत्र का नाम महोदरी तस्कर ठग, लालची कर्मशील, लालची, संग्रहकर्ता, स्टॉकिस्ट वर्ग के लिए उत्साहवर्धक सुखद है। रात्रि 3 यम व्यापिनी गायक, वादक, नर्तक, मूवी, कहद चार्ज इंडिकेटर के लिए अभिनेता निर्माता। दक्षिण दिशा में जाने पर, नैरित्य द दृष्टि, विष्टिकारणे, वाहन घोड़ा, उपवाहन सिंह, कृष्णवस्र, कुन्तयुध, पात्र पात्र, चित्रन्न भक्षण, मरजामद मरहम, विप्र जाति, दुर्वपुष्प, गुंजा आभूषण, नीली कंचुकी, बुद्धावस्था, उपविष्ठा, मुहूर्त 15, हरे मूंग, चावल, उड़द, काली मिर्च, ग्वार, तिल, गर्म मसाले, चाय, तम्बाकू, मेहंदी, रंग रसायन, रसायन, लोहा, सरिया, मशीनरी कलपुर्जे, दलहन-तिलहन भविष्य की उन्नत धारणाएँ। सूर्य गोचर रविवार, नेता पक्ष नेता द्वंद्व पद-प्रलोभन का भाव, तंत्र जगत भी धीमा है। फलाशय सूत्र पंचाग के अनुसार यह नीमच शहर में निर्णय सागर में मकर राशि का गोचर है यह सदैव मंगलमय और समृद्ध रहे - सबका भला हो और सभी खुश रहें और सभी स्वस्थ रहें आदि मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।
संक्रांति व्रत एवं पूजन बिध
संक्रान्तिव्रत (वंगऋषिसम्मत) - मेषादि किसी भी संक्रान्तिका जिस दिन संक्रमण हो उस दिन प्रात: स्नानादिय निवृत्त होकर 'मम ज्ञाताज्ञातसमस्तपातकोपपातकदुरितक्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तपुण्यफलप्राप्तये श्रीसूर्यनारायणप्रीतये च अमुकसंक्रमणकालीनमयनकालीनं वा स्नानदानजपहोमादिकहिं करिष्ये।'- यह संकल्प करके वेदी या चौकीपर लाल कपड़ा बिछाकर अक्षतोंका अष्टदल लिखे और उसमें सुवर्णमय सूर्यनारायणकी मूर्ति-स्थापन करके उनका पंचोपचार (स्नान, गन्ध, पुष्प, धूप और नैवेद्य) से पूजन और निराहार, साहार, अयाचित, नक्त या एकभुक्त व्रत करे तो सब प्रकारके पापोंका क्षय, सब प्रकारकी अधि-व्याधियोंका निवारण और सब प्रकारकी हीनता अथवा संकोचका निपात होता है तथा प्रत्येक प्रकारकी सुख-सम्पत्ति, संतान और सहानुभूतिकी वृद्धि होती है।
(३) संक्रमणव्रत (गर्ग-गालव-गौतमादि) - मेषादि किसी
भी अधिकृत राशिको छोड़कर सूर्य दूसरी राशिमें प्रवेश करे (अथवा सौम्य या याम्यायनकी प्रवृत्ति हो) उस समय दिन- रात्रि, पूर्वाह्न-पराह्न पूर्वापरिनिश्यर्द्ध या अर्धरात्रिका कुछ भी विचार न करके तत्काल स्नान करे और सफेद वस्त्र धारण
इनमें अहोरात्र (सूर्योदयसे सूर्योदयपर्यन्त) का उपवास करनेसे सब पाप छूट जाते हैं। परंतु पुत्रवान् गृहस्थीके लिये रविवार, संक्रान्ति, चन्द्रादित्यके ग्रहण और कृष्णपक्षकी एकादशीका व्रत करनेकी आज्ञा नहीं है। अतः उनको चाहिये कि वह व्रतकी अपेक्षा स्नान और दान अवश्य करें। इनके करनेसे दाता और भोक्ता दोनोंका कल्याण होता है। षडशीति (कन्या, मिथुन, मीन और धन) तथा विषुवती (तुला और मेष) संक्रान्तिमें दिये हुए दानका अनन्तगुना, अयनमें दिये हुएका करोड़गुना, विष्णुपदीमें दिये हुएका लाखगुना, षडशीतिमें हजारगुना, इन्दुक्षय (चन्द्रग्रहण)- में सौगुना, दिनक्षय (सूर्यग्रहण) में हजारगुना और व्यतीपातमें दिये हुए दानादिका अनन्तगुना फल होता है। देयके विषयमें भी यह विशेषता है कि-१ 'मेष' संक्रान्तिमें मेढा, २ 'वृष' में गौ, ३ 'मिथुन' में अन्न-वस्त्र और दूध-दही, ४ 'कर्क'में धेनु, ५ 'सिंह'में सुवर्णसहित छत्र (छाता), ६ 'कन्या' में वस्त्र और गायें, ७ 'तुला' में अनेक प्रकारके धान्य-बीज (जौ, गेहूँ और चने आदि), ८ 'वृश्चिक' में घर-मकान या झोंपड़े (पर्णकुटी), ९ 'धनु' में बहुवस्त्र और सवारियाँ, १० 'मकर' में काष्ठ और
अग्नि, ११ 'कुम्भ' में गायोंके लिये जल और घास तथा १२ 'मीन'में उत्तम प्रकारके माल्य (तेल-फुलेल-पुष्पादि) और स्थानका दान करनेसे सब प्रकारकी कामनाएँ सिद्ध होती हैं और संक्रान्ति आदिके अवसरोंमें हव्यकव्यादि जो कुछ दिया जाता है, सूर्यनारायण उसे जन्म-जन्मान्तरपर्यन्त प्रदान करते रहते हे
जयश्रीमन्नारायण
पं. नवल किशोर भार्गव
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