शिवपुरी - सिंधिया समर्थक विधायक मध्यप्रदेश में काफी है किन्तु गुना लोकसभा क्षेत्र में चुनाव जीतने वाले विधायकों में वृजेन्द्र सिंह यादव एवं महेन्द्र यादव सिंधिया के बेहद करीबी माने जाते है चाहे वृजेन्द्र सिंह यादव को पिछली सरकार में मंत्री बनाने की बात हो चाहे महेन्द्र यादव के परिवार को लगातार सिंधिया की सिफारिस पर विधायक के टिकिट की बात हो दोनो ही यादव विधायक सिंधिया के बेहद करीबी माने जाने है मोहन यादव कैबिनेट में सिंधिया समर्थक तीन विधायकों को मंत्री बनाया गया है जिनमें ग्वालियर महानगर से नारायण सिंह कुशवाह को मंत्री बनाने के साथ - साथ प्रद्युमन सिंह तोमर को सिंधिया की सिफारिस पर मंत्री बनाना यह संकेत देता है कि आने वाले लोकसभा के चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा की जगह ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते है क्योंकि गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तीन जिलों में से भाजपा के निर्वाचित 08 विधायकों में से 02 यादव वीर कट्टर सिंधिया समर्थकों के भी नाम मंत्री मंडल में न आने से यह लग रहा है कि गुना लोकसभा क्षेत्र से पुनः डॉ. केपी यादव या भाजपा से कोई अन्य चेहरा हो सकता है।
मध्यप्रदेश में लम्बे अंतराल के बाद तीन जिले रहे मंत्री बिहीन - गुना लोकसभा क्षेत्र ही नहीं बल्कि गुना के साथ - साथ अशोकनगर एवं शिवपुरी जिले से भाजपा के 08 विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा में पहुंचे है मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार में मुख्यमंत्री सहित 31 विधायकों को मिलाकर मंत्री मंडल का गठन हो चुका है किन्तु गुना लोकसभा क्षेत्र के तीन जिलों से कई दशक बाद यह पहला अवसर पर जब एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया जबकि पिछली सरकार में गुना लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के चार विधायक मंत्री थे क्या इस बार भाजपा गुना लोकसभा क्षेत्र के साथ भेदभाव कर रही है अथवा लोकसभा क्षेत्र को विधायकों के भरोसे छोड़कर गुना लोकसभा पर भाजपा का ज्यादा फोकस नहीं है इसी तरह के संकेत मंत्री मंडल विस्तार के दौरान दिखाई दिये यदि मंत्री मंडल में गुना लोकसभा क्षेत्र के विधायकों से भेदभाव एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह दांगी को भाजपा ने मंत्री मंडल या लोकसभा में नहीं उतारा तो गुना लोकसभा क्षेत्र ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के कई लोकसभा क्षेत्रों में इनका साइड इफेक्ट देखने को मिल सकता है।