वीर बाल दिवस पर जोरावरसिंह, फतेहसिंह को किया याद
देवेन्द्र शर्मा बदरवास - गुरु गोविन्दसिंह के दोनों साहिवजादे अमर वालवीर जोरावरसिंह, फतेहसिंह का बलिदान राष्ट्र के लिए सदैव प्रेरणा पुंज रहेगा। अन्याय के आगे झुकने की बजाय उन्होंने हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्रधर्म का मार्ग चुना। यह बात बदरवास के शासकीय मिडिल स्कूल बक्सपुर में वीर बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाध्यापक गोविन्द अवस्थी ने कही।
वीर बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत गुरु गोविंदसिंह और उनके अमर साहिबजादे जोरावरसिंह,फतेहसिंह के छायाचित्र पर विद्यालय के शिक्षक गोविन्द अवस्थी, जितेंद्र शर्मा, शैलेंद्र धाकड़, गंगा यादव, सुनील ओझा सहित सभी विद्यार्थियों ने पुष्पांजलि अर्पित की गुरु गोविंदसिंह और अमर वीर जोरावरसिंह, फतेहसिंह के अमर बलिदान और जीवन चरित्र से विद्यार्थियों को परिचित कराते हुए प्रधानाध्यापक गोविन्द अवस्थी ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंदसिंह के चार साहिबजादों में से सबसे छोटे जोरावरसिंह और फतेहसिंह के सामने एक तरफ धर्म और राष्ट्र था तो दूसरी तरफ जीवन था लेकिन उन्होंने अपने धर्म की खातिर बलिदान का मार्ग चुना।
जोरावरसिंह और फतेहसिंह अपनी वीरता और आदर्श से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर गए जो आज भी अनुकरणीय और गौरवशाली है। उन्होंने अपने देश और धर्म की खातिर हंसते हंसते नौ वर्ष और छह वर्ष की अल्पायु में अपना बलिदान दे दिया लेकिन अन्याय के आगे कभी झुकना स्वीकार नहीं किया।
शिक्षक जितेंद्र शर्मा ने कहा कि ऐसे अमर बाल वीरों के बलिदान से प्रेरणा लेने की सभी को आवश्यकता है तथा इनके पदचिन्हों पर हमें चलना चाहिए।
शिक्षक शैलेंद्र धाकड़ ने अपने संबोधन में कहा कि और राष्ट्र इन महान बाल सपूतों जोरावरसिंह और फतेहसिंह को याद कर गौरवान्वित हो रहा है।