ग्वालियर के दौरे पर रहेंगे शाह-मोदी
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की कमान संभाल रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का 4 नवंबर को एक बार फिर ग्वालियर के दौरे पर आ सकते हैं। वहीं, 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र के ग्वालियर चंबल संभाग के दौरे पर आने की उम्मीद है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अमित शाह 4 नवंबर को ग्वालियर से पोहरी और करेरा क्षेत्र में जाएंगे, उसके बाद लौटकर ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में इंटक मैदान पर आमसभा को भी संबोधित करेंगे। इसके बाद अंचल के चुनिंदा नेताओं से बात करेंगे और रात्रि विश्राम भी ग्वालियर में ही करेंगे।
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारी भी शुरू कर दी गई हैं। संभावित रूप से 8 नवंबर को मोदी ग्वालियर चंबल अंचल के दौरे पर आएंगे। वे चंबल क्षेत्र में आम सभा को संबोधित करेंगे। फिलहाल आम सभा का स्थान तय नहीं हो पाया है। मुरैना क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की सभी हो सकती है।
अंतर सिंह दरबार ने दिया इस्तीफा
कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। महू के पूर्व विधायक नेता रहे अंतर सिंह दरबार निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। गुरुवार को उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस पार्टी को सौंप दिया है। उनका मुकाबला भाजपा की उषा ठाकुर और कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला से होगा, जो भाजपा छोड़कर पार्टी में जुड़े हैं।
सतना के दौरे पर सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज सतना जिले के दौरे पर हैं। वे भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करेंगे। प्रचार से पहले सिंधिया मैहर स्थित मां शारदा देवी की मंदिर में पहुंचे, जहां उन्होंने शारदा माता की पूजा-अर्चना की। सिंधिया यहां जनसभा को संबोधित करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का पुतला फूंकना दतिया के दामोदर यादव को भारी पड़ गया कांग्रेस ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया है प्रदेश उपाध्यक्ष यादव दतिया से टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला इसके बाद उनके समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया था इतना ही नहीं उनके समर्थकों ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ नारेबाजी कर उनका पुतला फूंका था। अब कांग्रेस ने यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यादव के निष्कासन पर पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि यादव कांग्रेस की रीति नीति के विरुद्ध काम कर रहे थे। इसीलिए उन्हें कांग्रेस की सदस्यता खोनी पड़ी है। हालांकि बताया जा रहा है दामोदर ने 21 अक्तूबर को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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