घट स्थापना के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा रविवार से प्रारम्भ - Kolaras



कोलारस - 15 अक्टूबर रविवार से 23 अक्टूबर सोमवार तक शारदीय नवरात्रि महोत्सव रहेगा जोकि रविवार से प्रारम्भ होगा रविवार को घट स्थापना के साथ मां दुर्गा के 09 रूपों में से प्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा अर्चना होगी जो वैष्णव सम्प्रदाय के लोग अपने घरों में घट-कलश के साथ ज्यौं बोकर माता की 09 दिनों तक दुर्गा सपसती पाठ के साथ नौं वें दिन कन्या भोज के साथ भण्डारा करते है उनके घरों में कभी दुख, दरिद्रता का कभी प्रवेश नहीं होता इस लिये शारदीय नवरात्रि में लोग नौं दिनों तक माता के आराधना करते है। 

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गारू प्रकीर्तितारू।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मनारू।।


अर्थ - पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं।


हिमालय का एक नाम शैलेंद्र या शैल भी है। शैल मतलब पहाड़, चट्टान। देवी दुर्गा ने पार्वती के रुप में हिमालय के घर जन्म लिया। उनकी मां का नाम था मैना। इसी कारण देवी का पहला नाम पड़ा शैलपुत्री यानी हिमालय की बेटी। मां शैलपुत्री की पूजा, धन, रोजगार और स्वास्थ्य के लिए की जाती है। शैलपुत्री सिखाती है कि जीवन में सफलता के लिए सबसे पहले इरादों में चट्टान की तरह मजबूती और अडिगता होनी चाहिए। 


हिमालय का एक नाम शैलेंद्र या शैल भी है। शैल मतलब पहाड़, चट्टान। देवी दुर्गा ने पार्वती के रुप में हिमालय के घर जन्म लिया। उनकी मां का नाम था मैना। इसी कारण देवी का पहला नाम पड़ा शैलपुत्री यानी हिमालय की बेटी। मां शैलपुत्री की पूजा, धन, रोजगार और स्वास्थ्य के लिए की जाती है। शैलपुत्री सिखाती है कि जीवन में सफलता के लिए सबसे पहले इरादों में चट्टान की तरह मजबूती और अडिगता होनी चाहिए।


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