मुख्यमंत्री स्तर के चार बड़े नेता चुनावी मैदान में, चुनाव बाद बदल सकते है मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष - MP News


मध्यप्रदेश - मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों की घोषणा 15 अक्टूबर से पूर्व किसी भी समय निर्वाचन आयोग कर सकता है चुनाव को लेकर भाजपा के मध्यप्रदेश से लेकर केन्द्र के नेता मीड़िया से लेकर सरकारी एजेंसियों के सर्वे रिपोर्ट से परेशान है जिसके चलते केन्द्र सरकार के आला नेता एक - एक विधानसभा के टिकिट का एलान विचार मंथन के बाद कर रहे है मध्यप्रदेश में 18 वर्ष से भाजपा की सरकार है पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को सीटे मिली थी किन्तु कांग्रेस में बगावत के बाद पुनः भाजपा की सरकार 3 वर्ष के लिये बनी जोकि वर्तमान में प्रदेश में काविज है मध्यप्रदेश में 5वी बार भाजपा की सरकार बने इसके लिये भाजपा संगठन पूरी तागत झोकने में जुटा हुआ है वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष सर्वण समाज से आते है तथा मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग समाज से दोनो वोट बैंको को साधने के लिये भाजपा संगठन अभी बदलाव करने की स्थिति में नहीं है किन्तु विधानसभा चुनाव बाद बदलाव की खबरें राजनैतिक पण्डितों के द्वारा सुनने को मिल रही है।


भाजपा में मुख्यमंत्री पिछड़ वर्ग से आते है जिन्हें मध्यप्रदेश में 18 वर्ष हो चुके है प्रदेश में 5वी बार भाजपा की सरकार बने इसके लिये भाजपा संगठन जुटा हुआ है किन्तु खबरें जो निकलकर सामने आ रही है उस हिसाव से मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष एवं गृह मंत्री को विधानसभा के चुनावों के बाद लोक सभा का चुनाव भाजपा संगठन लड़ा सकता है और भाजपा में मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, उप मुख्यमंत्री भी सरकार बनने की स्थिति में भाजपा संगठन मध्य प्रदेश में बना सकता है भाजपा से मध्यप्रेदश में मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जो नाम चर्चाओं में है वह इस प्रकार है नरेन्द्र सिंह तोमर केन्द्रीय मंत्री, प्रहलाद पटेल केन्द्रीय मंत्री, कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महा सचिव, केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे चार नाम मध्यप्रदेश की राजनिति में 5वी बार सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष की रेस में दिखाई दें रहे है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय अमित शाह के करीबी माने जाते है जबकि प्रहलाद पटेल उमा भारती के करीबी होने के साथ - साथ पिछड़ा वर्ग का चेहरा भी है इसी क्रम में नरेन्द्र सिंह तोमर वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते है तो दूसरी ओर फग्गन सिंह कुलस्ते केन्द्रीय मंत्री होने के साथ-साथ आदिवासी चेहरा एवं संगठन के करीबी माने जाते है केन्द्रीय नेतृत्व ने जिस प्रकार केन्द्र के चारों बड़े नेताओं को केन्द्र की जगह प्रदेश की राजनिति में विधायक का उम्मीदवार बनाया है उससे दो तस्वीर निकलकर सामने आती है एक तो यह कि केन्द्रीय नेतृत्व पुनः मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार इन बड़े चेहरों के सहारे बनाना चाहता है दूसरा यह कि विधानसभा चुनाव के बाद यदि प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिलता है तो इन बड़े चार चेहरों में से सर्वण एवं पिछड़ा वर्ग का तालमेल बैठाते हुये बदलाव कर प्रदेश में नये मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री बहुमत आने की स्थिति में बदलाव करते हुये इन चारों नये चेहरों में से बना सकता है।

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