मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती घोटाला: फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर नौकरी पाने वाले 66 शिक्षकों पर एफआईआर, कुछ समय पहले ही हुई है जॉइनिंग
पंकज पाराशर छतरपुर - मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में एक और घोटाला उजागर हुआ है, ये घोटाला है शिक्षक भर्ती घोटाला, मामला बुंदेलखंड और चंबल से जुड़ा है, जिन शिक्षकों की कुछ महीने पहले नियुक्तियां हुई उनमें बड़े पैमाने पर दिव्यांग शिक्षक शामिल थे, शक की बिनाह पर शिकायत हुई और फिर जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने जांच के बाद कहा कि जिन 184 दिव्यांग सर्टिफिकेट की सूची उन्हें सौंपी गई थी उनमें से 66 दिव्यांग सर्टिफिकेट उनके कार्यालय से जारी ही नहीं किये गए, यानि ये फर्जी है, सीएमएचओ की जांच रिपोर्ट के बाद शिक्षा विभाग ने पुलिस में आवेदन दिया जिसके आधार पर 66 शिक्षकों के खिलाफ ग्वालियर के मुरार थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है इतना ही नहीं फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के लिए सत्ताधारियों ने स्वयं अनुशंसा की l
ज्यादातर शिक्षकों ने खुद को बहरेपन का शिकार बताया
इस फर्जीवाड़े की सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि अंचल के जिन शिक्षकों ने दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त की उनमें से अधिकांश ने खुद को बहरेपन का शिकार बताया, 50 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे प्रमाणपत्र सामने आये जिनमें बहरेपन की दिव्यांगता बताई गई उनके सर्टिफिकेट पर लिखा था – कम सुनाई देता है, विशेषज्ञों की मानें तो इस दिव्यांगता का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है इसलिए यह कम पकड़ में आते हैं।
2018 में हुई थी शिक्षक भर्ती परीक्षा
घोटालों के प्रदेश के नाम से विपक्ष के निशाने पर रहने वाले मध्य प्रदेश में एक और घोटाला सामने आया है, ये है फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट घोटाला, दरअसल 2018 में शिक्षा विभाग ने शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, परिणाम के बाद परीक्षा विवादों में आ गई तो शासन ने नियुक्तियां करने में देरी की, जब नियुक्तियां हुईं तो दिव्यांग कोटे से ग्वालियर चंबल अंचल के 184 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई ।
दिव्यांग कोटे से अंचल में 184 नियुक्तियों के बाद शुरू हुआ विवाद
दिव्यांग सर्टिफिकेट पर हुई इतनी बड़ी संख्या में नियुक्तियों के बाद विवाद शुरू हुआ, मुरैना के एक दो फर्जी सर्टिफिकेट के मामले सामने आये तो शिकायत हुई जिसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने ग्वालियर चंबल संभाग से दिव्यांग कोटे से चयनित सभी 184 शिक्षकों के दिव्यांग सर्फिकेट की जांच का फैसला लिया, जानकारी ग्वालियर भेजी गई और जांच के निर्देश दिए गए।
सीएमएचओ की जांच में 66 सर्टिफिकेट फर्जी निकले, एफआईआर दर्ज
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर को लिस्ट सौंपकर सभी 184 दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच का अनुरोध किया और जब सीएमएचओ ऑफिस ने जांच की तो खुलासा हुआ कि 184 में 66 सर्टिफिकेट उनके कार्यालय से जारी ही नहीं किये गए उनकी सील और हस्ताक्षर अलग हैं यानि ये फर्जी है, रिपोर्ट के बाद शिक्षा विभाग मुरार ऑफिस से कनिष्ठ लेखा परीक्षक प्रदीप वाजपेई ने एक लिखित आवेदन ग्वालियर के मुरार थाने में पिछले महीने आवेदन दिया और फिर आवेदन की जांच के बाद आज पुलिस ने 66 शिक्षकों पर फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग कर नियुक्ति लेने के आरोप में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
66 आरोपियों के बयान लेगी पुलिस
ग्वालियर एसपी राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली है, अब जिन 66 शिक्षक के नाम एफआईआर में है उनके बयान दर्ज किये जायेंगे फिर जो तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।
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